स्वरोजगार के लिए डेरी व पशुपालन व्यवसाय उत्तम : डा. राजेंद्र सिंह

स्वरोजगार के लिए डेरी व पशुपालन व्यवसाय उत्तम : डा. राजेंद्र सिंह

बहादुरगढ़, 23 दिसंबर। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ एवं प्रभारी पशु विज्ञान केंद्र रोहतक व हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र लकडिय़ा के डॉ राजेंद्र सिंह ने बताया कि अमृत महोत्सव की श्रंखला में गांव बराही में एक दिवसीय जागरूकता कैंप का  का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर डॉ राजेंद्र सिंह द्वारा पशुपालकों को नस्ल का चुनाव व नस्ल सुधार कार्यक्रम के बारे, नवजात पशु की देखभाल, खीस पिलाने का महत्व, परजीवियो का उपचार, आरामदायक आवास व्यवस्था, पशुओं के लिए संतुलित आहार कैसे बनाए व खिलाये, मौसम के हिसाब से पशुओ की देखभाल व प्रबंध के साथ-साथ पशुओ के लिए स्वच्छ व साफ पानी की व्यवस्था व महत्वता के बारे में पशु पालकों को  मौखिक व व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया गया ।
उन्होंने पशुओं के जीवन में खनिज तत्वों का महत्व विशेषतौर से प्रजनन, शरीर की बनावट के लिए, दूध उत्पादन इत्यादि के लिए विस्तार से प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम के दौरान पशु चिकित्सक बराही के डॉ संदीप छिकारा द्वारा पशुपालकों के लिए पशुपालन विभाग विभाग द्वारा चलाई जा रही डेरी व पशुपालन, मुर्गी पालन व सूअर पालन इत्यादि योजनाओं के बारे में  तथा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण, दुग्ध प्रतियोगिता इत्यादि के साथ साथ अनुसूचित जाति के भाईयो के लिए विशेष योजनाओ पर विस्तार से समझाया व बताया ।
इस कार्यक्रम में 50 के करीब महिला व पुरुष पशुपालकों ने भाग लिया । इस कार्यक्रम के अंतर्गत पशु पालकों  को पशुओं के लिए सारे साल हरे चारे का प्रबंध कैसे करें,  इसके लिए साइलेज (हरे चारे का अचार) बनाने की विधि के बारे व घर में पशुओं का गोबर इक_ा होता है उससे गोबर की खाद बनाकर खेत में इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। गोबर की खाद बनाओ भरपूर व पौष्टिक फसल उगाओ और जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाओ बारे विस्तार से जानकारी उपस्थित पशुपालकों को दी।  
इस अवसर पर डा. राजेंद्र सिंह ने बताया कि पशुपालन के धंधे में जो खानपान की लागत है उसको कम करके पशुधन से अधिक कमा सकते हैं तथा दूध से व्यंजन बनाकर वह अपना ब्रांड विकसित करके जो दूध से व दूध के व्यंजनों से अधिक लाभ कमा सकते हैं। दूध उत्पादन में पशु के खानपान पर 70 से 75 फ़ीसदी खर्च पशुपालन के धंधे में जो खानपान की लागत है उसको कम करके पशुधन से अधिक लाभ कमा सकते हैं पशुओं से स्वच्छ दूध उत्पादन कैसे करें पर भी समझाया जाता। इस कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को खासतौर से जो छोटे बच्चों की देखरेख तथा खिस  खिलाने का महत्व और परजीवी  से बचाव इत्यादि पर समझाया गया ।
इस अवसर पर पशुपालकों द्वारा 10 क्विंटल खनिज मिश्रण भी खरीदा गया जो कि लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार द्वारा बनाया गया था और पशुपालकों की सेवा के लिए गांव बराही में भेजा गया था

मौसम के अनुरूप पशुओं की देखरेख करें पशुपालक व संतुलित आहार व खनिज मिश्रण आवश्यक है पशुओं की खुराक में  

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