वॉइस ऑफ़ बहादुरगढ़ न्यूज़ रोहतक में सोमवार को सरपंचों ने ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान डीसी न मिलने के बाद सरपंचों ने लघु सचिवालय के बाहर धरना दे दिया। यहां सरपंच सड़क पर बैठ गए। उन्हें उठाने के लिए पुलिस पहुंची, लेकिन वह पुलिस से भिड़ गए। इस दौरान जमकर हंगामा हुआ।सरपंच सोमवार को मानसरोवर पार्क में एकत्रित हुए। जहां पर सरपंचों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने के लिए लघु सचिवालय के लिए निकले। जहां उन्होंने पहले ही डीसी के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजने की रणनीति बनाई हुई थी, लेकिन सरपंच जब लघु सचिवालय पहुंचे तो वहां तैनात कर्मियों व अधिकारियों ने डीसी नहीं होने की बात कही।डीसी न मिलने के चलते सरपंचों ने लघु सचिवालय के बाहर रोड जाम करने का निर्णय लिया। सरपंच रोड पर बैठ गए और जाम कर दिया। इस दौरान काफी वाहन चालक भी इस जाम में फंसे रहे। जिसके चलते वाहन चालकों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।जब सरपंचों ने रोड जाम किया तो इसी दौरान एक एंबुलेंस भी आ गई, जिसमें मरीज था। सरपंचों ने मानवता दिखाते हुए जाम खोलकर एंबुलेंस को रास्ता दिया। ताकि मरीज को समय पर उपचार के लिए अस्पताल में पहुंचाया जा सके। एंबुलेंस जाने के बाद जाम फिर से लगा दिया गया।सड़क पर धरना देकर बैठे सरपंचों को पुलिस ने उठाने व जाम खुलवाने का प्रयास किया, लेकिन सरपंच उठाने का नाम नहीं ले रहे थे। पहले पुलिस ने आग्रह किया, लेकिन बाद में पुलिसकर्मी सख्त लहजे में बोलने लगे तो सरपंच भी पुलिस के साथ भिड़ गए। सरपंच किसी भी हाल में जाम खोलने को राजी नहीं थे।जाम के दौरान काफी वाहन चालक जाम में फंसे रहे। इसके कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वाहन चालक अपनी मजबूरी बताकर सरपंचों से रास्ता खोलने व जाने देने की बात कह रहे थे। जबकि सरपंच जाम लगा रहे थे। इसी बात को लेकर वाहन चालकों व सरपंचों में भी बहस हो गई।सरपंच अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपने की मांग कर रहे थे, लेकिन डीसी नहीं होने के कारण एसडीएम व नायब तहसीलदार को वहां बुलाया गया। पहले तो सरपंचों ने एसडीएम व नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपने से मना कर दिया, लेकिन बाद में डीसी उपस्थित नहीं होने पर एसडीएम राकेश कुमार को ज्ञापन सौंपा।सरपंचों ने सरकार को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने कहा कि उनकी मांगों को समय रहते पूरा करें। अगर मांग पूरी नहीं होती तो सरपंच 1 मार्च को सीएम हाउस का घेराव करेंगे। साथ ही सभी सरपंचों ने निर्णय लिया कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती, तब तक वे कोई भी प्रस्ताव नहीं देंगे।
मुख्य माँगे
ई टेंडर प्रणाली पूर्णतया बंद हो।
राहट टू रिकॉल एक्ट सबसे पहले एमपी व एमएलए पर लागू हो।
संविधान के 73वें संशोधन की 11वीं सूची के 29 अधिकार पूर्ण रूप से हरियाणा पंचायतों को दिए जाए।
मनरेगा की ऑनलाइन हाजिरी बंद हो, क्योंकि बहुत से गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं होता।
मनरेगा की दैनिक दिहाड़ी 600 रुपए की जाए।
सरपंचों का मानदेय 30 हजार व पंचों का मानदेय 5 हजार किया जाए।
परिवार पहचान पत्र पूर्णत: बंद हो, जिससे आमजन परेशान है।