सेवानिवृत्त डीईओ डा. जयभगवान शर्मा की अनूठी पहल
वॉइस ऑफ़ बहादुरगढ़ न्यूज़ झज्जर, 1 फरवरी। हरियाणा में नई शिक्षा नीति की मूलभूत चुनौतियों को दूर करने के उद्देश्य से अपने लेखन के माध्यम से अनेक रचनाकारों ने प्रेरित पहल की है। हरियाणा प्रदेश के महर्षि वेदव्यास अकादमी पुरस्कार से अलंकृत झज्जर निवासी सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी डा. जय भगवान शर्मा ने भी इस महायज्ञ में एक अनूठी कृति के माध्यम से आहुति डाली है। ‘प्राचीन पहाड़े, ज्ञान के अखाड़े’ नामक इस पुस्तक का लोकार्पण शीघ्र ही किया जाएगा। यहां आपको बता दें कि डा. शर्मा रेवाड़ी डीआईपीआरओ दिनेश कुमार के पिता हैं और निरंतर साहित्यिक विधा से वे समाज में अपना योगदान दे रहे हैं।
शिक्षा विभाग से जुड़े साहित्यकार सत्यवीर नाहडिय़ा ने बताया कि डा. जयभगवान शर्मा साहित्य एवं संस्कृति के अलावा शिक्षा क्षेत्र में नवाचारी लेखन के लिए चर्चित रहे हैं। उनके बहुआयामी लेखन पर देश के तीन प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शोध कार्य भी जारी हैं। उन्होंने उक्त शोधपरक कृति में करीब छह दशक पुरानी गिनती और पहाड़ा संस्कृति को बड़े रोचक प्रारूप में कलमबद्ध किया है, जिसके छह अध्यायों में गिनती, उल्टी गिनती, सम-विषम संख्याएं, वर्ग तथा पहाड़े शामिल हैं। इस पुस्तक के विशिष्ट पहाड़े अध्याय में पौवा, अद्धा,पौना, सवैया, ड्योढ़ा आदि को विशेष रूप से शामिल किया गया। उन्होंने बताया कि जनवरी 2012 को बतौर डीईओ सेवानिवृत्त होने उपरांत डा.शर्मा ने साहित्यिक विधा पर फोकस रखते हुए अनेक पुस्तकों का लेखन व संपादन कार्य किया और हरियाणा साहित्य अकादमी सहित अन्य सामाजिक संगठनों के माध्यम से सम्मान पाते हुए वे समाज में नवाचार पद्धति के तहत लेखनी में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं।
सेवानिवृत्त डीईओ डॉ. शर्मा का मानना है कि पहाड़ों की यह प्राचीन समृद्ध परंपरा आज विलुप्त होने के कगार पर है, जिसका संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है। यह पुस्तक नई शिक्षा नीति की प्राथमिक स्तर पर संबंधित चुनौतियों को केंद्र में रखकर लिखी गई है। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में इस कृति का लोकार्पण करवाया जाएगा ताकि नए शैक्षणिक सत्र में इसका लाभ संबंधित वर्ग को हो सके।