ब्रह्मज्ञान से मानव के भीतर सावित्री रुपी आत्मबल का जागरण और विश्व में शांति की स्थापना संभव – साध्वी अदिति भारती

ब्रह्मज्ञान से मानव के भीतर सावित्री रुपी आत्मबल का जागरण और विश्व में शांति की स्थापना संभव – साध्वी अदिति भारती

वॉइस ऑफ़ बहादुरगढ़ न्यूज़ रोहतक संजय पांचाल रोहतक, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित ओल्ड आई.टी.आई. ग्राउण्ड सर्कुलर रोड में दिव्य गुरु आशुतोष महाराज की शिष्या कथाव्यास साध्वी अदिति भारती षष्टम दिवस की कथा बांचते हुए कहा दुर्वासा ऋषि के श्राप से इंद्र के विहीन होने और स्वर्ग से माता लक्ष्मी के लोप व समुद्र मंथन से माता महालक्ष्मी के प्राकट्य व सावित्री सत्यवान की कथाओं को रखा। इस विराट आयोजान के माध्यम से कथा व्यास ने माँ की विविध लीला चरित्रों का वर्णन कर रही हैं मीडिया प्रभारी राजीव जैन ने बताया आज के सानिध्य दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आदित्यानंद, स्वामी नरेशानंद, स्वामी शुभरिशानंद, स्वामी सूर्यानंद, स्वामी अनेशानंद , स्वामी अभेनानंद, महामंडलेश्वर बाबा करण पुरी महाराज, मुख्य यजमान राजेश जैन एमडी एलपीएस बॉसार्ड, मनीष ग्रोवर पूर्व मंत्री हरियाणा सरकार, मन मोहन गोयल मेयर रोहतक, नवीन जैन अध्यक्ष वैश्य एजुकेशन सोसाइटी रोहतक, चरणजीत खट्टर, सुरेश बंसल, मदन गोयल, पवन तायल, राधेश्याम ढल पार्षद , अमित जैन जोजी,दीपू नागपाल, समाजसेवी उद्योगपति जंबो जैन, जय भगवान मंगल, रविंदर सक्ससेना, अजय बंसल, सुभाष तायल, राजीव जैन,शीतल मीडिया समन्वयक, रमेश रोहिल्ला, सन्नी निझावन, मोहन सिंगला, सज्जन सिंगला, निपुण गर्ग, परवीन जिंदल व सभी अतिथियों ने पंडित के द्वारा पूजा अर्चना की और दीप प्रज्वलित कर कथा का शुभारंभ किया व सभी को पटका पहनाकर सम्मानित किया और सभी ने मां दुर्गा की आरती की व सभी को प्रसाद वितरित किया समुद्र मंथन से माता महालक्ष्मी के प्राकट्य की लीला का विश्लेषण करते हुए साध्वी जी ने श्रद्धालुओं के समक्ष अर्थ पुरुषार्थ में धर्म के आधार की अनिवार्यता को रखा त्रिस्तरीय मंथन के गूढ़ सन्दर्भ को रखते हुए साध्वी जी ने अध्यात्मिक समृधि को सामाजिक  व्यक्तिगत समृद्धि का आधार बताया। प्रसंग को भारत की स्तिथि से जोड़ते हुए साध्वी जी ने कहा की सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत आज गरीबी और भुखमरी, भ्रष्टाचार आदि समस्याओं से क्यूँ जूझ रहा है क्यूंकि आज भारतवासी अर्थ पुरुषार्थ तो कर रहे है परन्तु धर्म के आधार को भूल गए है। यदि भारत को उसका गौरव फिर दिलाना है तो भारत वासियों को ब्रह्मज्ञान से जागृत कर धर्म से जुड़ना होगा। सावित्री सत्यवान की कथा के माध्यम से साध्वी ने समाज के समक्ष इस कथा के गुडार्थ को रखते हुआ बताया की यह मात्र एक आदर्श दाम्पत्य की कथा नहीं अपितु ब्रह्मज्ञान के आधार पर मानव के भीतर की सावित्री रुपी आत्मबल के जागरण की गाथा है। उद्धहरण स्वरुप स्वामी विवेकानंद, योगानंद परमहंस, प्रहलाद, महर्षि अरविन्द आदि का वर्णन किया गया। साध्वी जी ने बताया की आज सर्व श्री आशुतोष महाराज न भी ब्रह्मज्ञान प्रदान कर सैंकड़ों लोगों के भीतर उस आत्मबल को जागृत किया है जो आज बड़े हैं समाज को जागृत करने श्रधालुओं को संबोधित करते हुए साध्वी ने कहा, मानव के भीतर गुणों का प्रकटीकरण और आत्मबल का सृजन करने वाली अध्यात्मिक क्रांति ही विश्व शांति के महान लक्ष्य को सिद्ध करने का आधार है।।  कथा के अंतिम चरणों में संगीतमय माता महालक्ष्मी और भगवन विष्णु के विवाह उत्सव में श्रद्धालुओं ने बढ-चढ़ कर भाग लिया।

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