महिलाओं को उच्च स्तर के जोखिम में डालता है कार्य स्थलों पर यौन उत्पीडऩ

महिलाओं को उच्च स्तर के जोखिम में डालता है कार्य स्थलों पर यौन उत्पीडऩ

वॉइस ऑफ़ बहादुरगढ़ न्यूज़ रोहतक, चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट राजेश कुमार यादव के कुशल मार्गदर्शन में आज स्थानीय राजकीय महिला महाविद्यालय के प्रांगण में कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ (रोकथाम, निषेध एंव निवारण) अधिनियम 2013 के संबध में एक विशेष कानूनी जागरूकता व साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप ने जानकारी देते हुए बताया कि किसी समाज का विकास अक्सर इस बात से निर्धारित होता है कि वह अपने सबसे कमजोर वर्गो के साथ कैसा व्यवहार करता है, हमारे जैसे समाज मे महिलाये और बच्चें सबसे कमजोर है। इसलिये उनके अधिकारों की रक्षा करना सबसे महत्वपूर्ण है। कार्यस्थलों पर यौन उत्पीडऩ एक ऐसा अपराध है जो महिलाओं को उच्च स्तर के जोखिम मे डालता है। विशाखा बनाम राजस्थान राज्य के मुकदमे में सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला एक मील का पत्थर था। इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थलों पर महिलाओं के विरुद्ध यौन उत्पीडऩ के खतरे से निपटने के लिए विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे।
उन्होंने बताया कि आज हम सब खुद को कितना ही अत्याधुनिक, संवेदनशील और मानवतावादी माने लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा हाल में ही जारी आंकडे बहुत ही भयावह है, अमेरिका जैसे शक्तीशाली देश में 34.3 प्रतिशत, अफ्रीका 25.7 प्रतिशत यूरोप व मध्य एशिया 25.5 प्रतिशत और अरब देशों में 13 प्रतिशत महिलाएं कार्य स्थल पर यौन उत्पीडऩ का शिकार हो रही है। यदि कार्यस्थल पर उत्पीडऩ के यही हालात हैं तो इसे सभ्य समाज के लिए किसी भी स्तर पर उचित नही ठहराया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर नौकरीपेशा से संबधित 5 में से एक से अधिक लोग कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ तथा हिंसा के शिकार हुये हैं। इस तरह के मानवता को कलंकित करने वाले हालात को सुधारने के लिए हर नागरिक को कंधे से कंधा मिलाकर आगे आना होगा।
इस अवसर पर जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण रोहतक के पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप, प्रिंसिपल डॉ सविता परुथी, महिला विंग की ईंचारज निर्मल देवी, प्राध्यापकगण, पीएलवी साहिल व विधार्थीगण उपस्थित रहे।

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