वॉयस ऑफ बहादुरगढ़ न्यूज़ / कैथल (कृष्ण प्रजापति):
जरा-सी बरसात होने पर जिले के गांव ग्योंग, कठवाड़, बरोट-बन्दराना, खेड़ी रायवाली, ढांड-डडवाना, जींद रोड़ कैथल, जींद-खनोरी बाईपास आदि जगहों पर बनाए गए रेलवे अंडरपास आजकल लोगों की जान के दुश्मन बन रहे हैं, सभी जगह रेलवे क्रॉसिंग के नीचे और जींद रोड पर पंचायत घर की ओर जाने वाले अंडरपास में कई कई फुट बरसाती पानी खड़ा होने के कारण और अंडरपास अपेक्षाकृत कम चौड़ा होने के कारण बरसात के 5 से 7 दिन बाद भी आने जाने का रास्ता नहीं रहता और बाइक निकालना तो दूर बल्कि बड़े साधन भी निकल नहीं पाते, जिससे वाहन चालकों को व राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रेलवे विभाग द्वारा न तो अंडरपास से पानी निकासी का कोई उचित प्रबंध किया गया है और ना ही इसके साथ साथ कोई वैकल्पिक रास्ते का प्रबंध किया गया है। जिले के विभिन्न गांव वासियों का कहना है कि अंडर पास इतना तंग है कि एक समय में अगर दोनों तरफ से वाहन आ जाते हैं तो जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। राहगीरों ने रोष जताते हुए कहा कि जिले के अनेक नेता अपने कार्यकाल के दौरान करवाए गए विकास कार्यों का बखान करते नहीं थकते और मौजूदा सरकार के पदाधिकारी भी विकास कार्यों की झड़ियां लगने की बात करते हैं लेकिन जरा सी बरसात से गांवो को जोड़ने वाले इन अंडर पास में 5 से 8 फुट पानी भरने से हर बार मुसीबत खड़ी हो जाती है। बरसात होने के एक सप्ताह बाद तक इन अंडर पास में पानी खड़ा रहता है जिससे न केवल बीमारियां फैलने का डर बना रहता है बल्कि आने जाने के लिए भी दिक्कतें खड़ी हो जाती है। इस परेशानी को समझने के लिए किसी भी राजनेता के पास शायद ना समय है ना इसकी जरूरत समझते। शहर व अंडरपास से होकर गुजरने वाली ग्रामीण जनता परेशान रहती है और आवागमन बिल्कुल थम सा जाता है। स्थानीय गांववासियों की मांग है कि या तो अंडरपास में पानी निकासी का उचित प्रबंध किया जाए या फिर इन अंडर पासों को बंद करके कोई अन्य वैकल्पिक रास्ते का प्रबंध किया जाना चाहिए।
अब तक दर्जनों वाहन पानी में डूब चुके, कई मौत हो चुकी, प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध
गांव बरोट निवासी उपेंद्र राणा, वृषभान (रिंकू), सुरेश प्रजापति, ओमप्रकाश, सन्दीप राणा, राजेश जांगड़ा, पवन जांगड़ा आदि ने बताया कि यहां प्रतिदिन कोई न कोई गाड़ी डूब जाती है क्योंकि न तो रेलवे विभाग की ओर से न प्रशासन की ओर से इन अंडरपास के ओवरफ्लो होने के बाद कोई वैकल्पिक रास्ते की व्यवस्था की गई और न ही कोई सांकेतिक बोर्ड ही लगाया जाता ताकि लोग गहरे पानी में न जा सकें, जिसके कारण अब तक यहां दर्जनों वाहन फंस चुके हैं और कई मौत भी हो चुकी हैं , इसके बावजूद भी