दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रही है। इसका समापन 13 नवंबर, सोमवार की दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर हो रहा है। हिंदू धर्म में वैसे तो उदया तिथि के आधार पर पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के समय करना शुभ होता है। प्रदोष काल की पूजा का समय 12 नवंबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए इस साल दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी।
क्यों मनाई जाती है?
दिवाली के पर्व को हर साल अमावस्या की अंधेरी रात्रि में मनाया जाता है। इस दिन दीयों की रोशनी से पूरे घर को रोशन किया जाता है। इसलिए इस पर्व को अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना गया है। साथ ही मान्यता है कि दिवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम लंकापति रावण को हरा कर अयोध्या लौटे थे। 14 वर्ष का वनवास पूरा कर भगवान राम के लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे अयोध्या को दीयों को रोशनी से सजा दिया था। तभी से पूरे देश में दिवाली मनाई जाती है।
दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली की रात भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की नव स्थापित प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश के अलावा कुबेर देवता और बही-खाता की पूजा करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि दिवाली की रात पूजा करने से जीवन में धन-धान्य की कभी भी कमी नहीं होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
दिवाली यानी दीपावली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक है। वहीं लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
पूजा विधि
दिवाली के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के निवृत हो जाएं और साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें। कई साधक इस दिन व्रत आदि भी करते हैं। ऐसे में ईश्वर का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर की पास एक छोटी चौकी रखकर उसके ऊपर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। अब गणेश और लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें। ध्यान रहे कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
इसके बाद प्रतिमा के सामने कलश स्थापित करें और उस पर नारियल रख दें। लक्ष्मी-गणेश जी के समक्ष दो बड़े दीपक प्रज्वलित करें। एक छोटी थाली में चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं। पूजा के दौरान लक्ष्मी-गणेश जी को नारियल, सुपारी, पान का पत्ता अर्पित करें। देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल एवं सिक्के रख दीजिए। अंत में सह परिवार माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें।