रोहतक जोन के उपभोक्ताओं की शिकायतों के निपटारे के लिए शिकायत निवारण मंच का कार्यक्रम जारी – उपायुक्त यशपाल

रोहतक जोन के उपभोक्ताओं की शिकायतों के निपटारे के लिए शिकायत निवारण मंच का कार्यक्रम जारी – उपायुक्त यशपाल

वॉइस ऑफ़ बहादुरगढ़ न्यूज़ रोहतक, उपायुक्त यशपाल ने बताया कि आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम उपभोक्ताओं को विश्वसनीय, अच्छी वोल्टेज और निर्बाध बिजली की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है। निगम द्वारा ‘पूर्ण उपभोक्ता संतुष्टि’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम प्रारंभ किये गए हैं ताकि उपभोक्ताओं की समस्याओं का यथाशीघ्र समाधान किया जा सके।

उपायुक्त यशपाल ने बताया कि जोनल उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच रेगुलेशन 2.8.2 के अनुसार प्रत्येक मामले में 1 लाख रुपये से अधिक और 3 लाख रुपये तक की राशि के वित्तीय विवादों से संबंधित शिकायतों की सुनवाई करता है। रोहतक जोन-2 के अंतर्गत आने वाले 5 जिलों करनाल, पानीपत, सोनीपत, झज्जर और रोहतक के उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण 02, 09, 16 और 24 मार्च को जोनल उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच द्वारा स्थानीय राजीव गांधी विद्युत भवन के कांफ्रेंस हाल में प्रात: 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। बिजली उपभोक्ता अपनी समस्याओं का समाधान इन निर्धारित तिथियों को मंच के समक्ष प्रस्तुत होकर करवाये। 

बिजली की इन समस्याओं का किया जायेगा समाधान 

उपायुक्त यशपाल ने बताया कि मंच द्वारा उपभोक्ताओं के गलत बिलों, बिजली की दरों से सम्बंधित मामलों, मीटर सिक्योरिटी से जुड़े मामलों, खऱाब हुए मीटरों से सम्बंधित मामलों, वोल्टेज से जुड़े हुए मामलों का निस्तारण किया जाएगा। इस दौरान बिजली चोरी, बिजली के दुरूप्योग और घातक गैर-घातक दुर्घटना आदि मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। उपभोक्ता और निगम के बीच किसी भी विवाद के निपटान के लिए फोरम में वित्तिय विवादों से संबंधित शिकायत प्रस्तुत करने से पहले पिछले छह महीनों के दौरान उपभोक्ता द्वारा भुगतान किए गए बिजली के औसत शुल्क के आधार पर गणना की गई प्रत्येक माह के लिए दावा की गई राशि या उसके द्वारा देय बिजली शुल्क के बराबर राशि, जो कम है, उपभोक्ता को जमा करवानी होगी। इस दौरान उपभोक्ता को प्रमाणित करना होगा कि यह मामला अदालत, प्राधिकरण या फोरम के समक्ष पेंडिंग (लंबित) नहीं है क्योंकि न्यायालय या फोरम में विचाराधीन मामलों पर बैठक के दौरान विचार नहीं किया जाएगा।

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