दिल्ली दंगा 2020 के मामले में आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इससे पहले हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस से सवाल किया था कि फरवरी 2020 के दंगों से जुड़े आरोपी कब तक जेल में रहेंगे।
न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने यह सवाल तस्लीम अहमद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस से पूछा कि तस्लीम पर सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दंगों में कथित बड़ी साजिश का आरोप है।
आरोपी के वकील महमूद प्राचा ने मामले में कार्यवाही में देरी का मुद्दा उठाया कि आरोप तय करने पर बहस भी पूरी नहीं हुई। इस तरह के मामलों में, 700 गवाहों के साथ, एक व्यक्ति को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है?
वकील प्राचा ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर तर्क नहीं देंगे, बल्कि मुकदमे में देरी के आधार पर राहत की मांग करेंगे। उन्होंने सह-आरोपियों देवांगना कलिता, आसिफ इकबाल तन्हा और नताशा नरवाल का उदाहरण दिया, जिन्हें 2021 में देरी के आधार पर जमानत दी गई थी।
