बेरी( झज्जर), 30 दिसंबर। एसडीएम रविंद्र मलिक ने कहा कि बाल श्रम व बंधुआ मजदूरी हमारे देश और समाज के लिए बहुत ही गम्भीर विषय है। हमें इसे समाज से जड़मूल से समाप्त करने के लिए अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझनी होगी। ।
उन्होंने कहा कि सरकार बाल श्रम या बंधुआ मजदूरी के मुद्दे पर निरन्तर सख्त रुख अपना रही है। बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 को लागू करके बंधुआ मजदूरी प्रणाली को 25 अक्टूबर 1975 से संपूर्ण देश से खत्म कर दिया गया था। इस अधिनियम के जरिए बंधुआ मजदूर गुलामी से मुक्त हुए साथ ही उनके कर्ज की भी समाप्ति हुई। इसी प्रकार बाल श्रम गैर कानूनी है। इस समस्या को अगर समय रहते जड़ से मिटाया नहीं गया, तो यह समाज के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।
बचपन को श्रमिक रूप में बदल देना पूरी तरह गैर कानूनी
उन्होंने कहा कि 14 वर्ष से कम आयु के जो बच्चे होते हैं, उनसे उनका बचपन, खेल-कूद, शिक्षा का अधिकार छीनकर, उन्हें काम में लगाकर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर, कम रुपयों में काम कराकर शोषण करके, उनके बचपन को श्रमिक रूप में बदल देना गैर कानूनी है। कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है तो इसकी सूचना श्रम विभाग,खाद्य एवं आपूर्ति या उपमंडल प्रशासन को दें, ताकि संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके।